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कहानी-- बाँस के फूल


कहानी -- बांस का फूल

 बाँस में उसके जिंदगी में सिर्फ एक बार फूल आता है जो कि बाँस का अंतिम समय होता है।
 उसके बाद बाँस की झाड़ी सूख जाती है।
 इसी को लेकर मैंने अपनी एक बाल कथा लिखी है।

सुगंधा अपने माता पिता के साथ एक गांव में रहती थी।
 उसके पिता रामचरन एक किसान थे ।
उनका अपना खेत था ।जिसमें वह खेती कर अपनी जीविका चलाते थे ।
सुगंधा की माताजी गृहिणी थी।
सुगंधा स्कूल में पढ़ती थी ।
सुगंधा के घर के पिछवाड़े में ढेर सारे बांस के पेड़ लगे हुए थे ।बचपन से सुगंधा को इस बात के पेड़ों से बड़ा लगाव था क्योंकि उनमें से कई पेड़ उसके सामने ही बड़े हुए थे।
 वहीं पिछवाड़े में जाकर खेला करती थी।
 एक दिन  की बात है खूब बारिश हो रही थी।लगातार बारिश आंधी पानी और बिजली का चमकना जारी था ।

 घर पर न कोई जलावन की सामग्री नहीं थी  और न ही अन्न का दाना।
घर में खाना बनाना मुश्किल हो रहा था।

 किसी चीज का कोई ठिकाना नहीं था।उसपर पानी था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।

 सुगंधा की माँ  किसी काम से पिछवाड़े में गई।

 उन्हें लगा की कोई भी सब्जी की बेल या साग 
 कुछ भी मिल जाए तो उसे बना ले।

 अचानक उनकी नजर बांस की झाड़ियों पर पड़ी। 
वहां कुछ  झाड़ियों पर फूल खिले हुए थे।

 राधा जी उदास होकर घर में वापस आई।
 उन्होंने  सुगंधा के पिता से कहा
,,सुनते हैं जी,बाँसों पर फूल आ गए हैं।जरूर कुछ अनहोनी होगी..।मेरा तो जी घबरा रहा है. ..!,,

रामचरन ने उन्हें समझाते हुए कहा
,,ऐसी बातें नहीं सोचनी चाहिए।बाँसों में फूल तो एक प्राकृतिक निशानी है।
इसमें डरने जैसी कोई बात नहीं।,,

लेकिन रामचरण खुद ही डरे हुए थे क्योंकि उनके गांव में यह बात मशहूर थी कि जब बांस में फूल आते हैं तो विनाश आता है।

बारिश एक हफ्ते तक लगातार जारी रही।
 बारिश के कारण सभी अर्थव्यवस्था ठप पड़ी हुई थी।
 आधा गांव पानी में डूब चुका था।
 जनजीवन अस्त व्यस्त हो चुका था ।खाने खाने को लोग मोहताज हो गए थे।

 लोग नौका बना कर  गांव से बाहर जा रहे थे।
 मुसीबत में रामचरण भी थे । कोई उपाय नहीं था। उनका भी खेत पूरा डूब चुका था। वह भी वहां छोड़कर जाने का मन बना लिए थे।

उन्होंने अपनी पत्नी से कहा राधा तुम भी कपड़ों की मोटरी बना लो और जो भी जरूरी सामान हैं उन्हें ले लो मैं किसी तरह से नौका बनाने की कोशिश करता हूं ।
वह छाता लेकर पिछवाड़े में गए ।
जिन बाँसों में  फूल खिले हुए थे वह सुख  रहा था।
 उन्होंने बड़ी जोर से झाड़ियों को खींचा तो बाँस का एक मुट्ठी खींचा कर उनके हाथ में आ गया।

 बांस के साथ-साथ एक बड़ा सा साँप उनके साथ में चला आया।
साँप इतना विशालकाय था कि उसे देखकर रामचरण जोरों से चीख उठे।
उनकी चीख सुनकर सुगंधा और राधा दोनों पिछवाड़े की तरफ दौड़ी ।
रामचरण सांप को देखकर थर थर थर थर कांप रहे थे ।
सुगंधा और राधा भी सांप को देखकर घबरा उठी।

 दोनों चिखने लगी।

 साँप ने मनुष्य की भाषा में कहा
,, देखो तुम -तीनों डरो मत। मैं बरसों से यहां रहता आ रहा था क्योंकि यह मेरा घर था।
 अब जब मेरा घर उजड़ गया मैं भी यहां से जा रहा हूँ ?
 मैं इच्छाधारी सांप हूं ।बरसों से मैं यहां रहता हूं। लेकिन मेरा घर उजड़ गया तो मुझे भी यहां से चले जाना चाहिए।
 लेकिन यह सच है कि मैं यहां एक परिवार के सदस्य की तरह रहता आया हूं तो मैं तुम्हें कुछ उपहार देना चाहता हूं ।
तुम अपनी आंखें बंद करो मैं तुम्हें कुछ दूंगा।

 रामचरण जैसे नशे में थे ।
उन्होंने कहा 
,,ठीक है ।मैं अपनी आंखें बंद करता हूं ।उनकी आंख बंद करते ही सुगंधा और राधा दोनों की आंखें अपने आप बंद हो गए।
 वहां चारों तरफ एक दूधिया प्रकाश छा गया।

 थोड़ी देर के बाद वहां कुछ भी नहीं था।
 सिर्फ राम चरण के हाथों में सोने और चांदी के कुछ सिक्के थे ।
अब वहां पर  सांप नहीं था।
  राम चरण हैरान परेशान होकर कभी अपने हाथों में पड़े सिक्कों को देखते तभी सामने।

 लेकिन बारिश के आगे तो उनकी चल नहीं रही थी।
बारिश थमने का नाम ही नहीं ले रही थी।
 रामचरन ने भी अपनी नौका बनाया  और अपने परिवार के साथ वहां से निकल गए।

बाँस में खिले फूलों का दुष्प्रभाव था या चमत्कार.. जिन खेतों में वह खेती करते थे उसमें वह चप्पू चलाते हुए दूर चले जा रहे थे।

***
सीमा..✍️💕
©®
#दैनिक प्रतियोगिता के लिए

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9 Comments

Barsha🖤👑

24-Sep-2022 10:12 PM

Nice post 👍

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Simran Bhagat

24-Sep-2022 07:26 PM

👍🏻👍🏻👍🏻

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Gunjan Kamal

24-Sep-2022 07:14 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌

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